रविवार, 8 दिसंबर 2024

अफसाना अनजान दिल का

 पहले लगता था बिन तेरे मर जाऊँगा

तू ने छोड़ा तो फिर मैं किधर जाऊँगा


तू भी लगता है मुझ को ज़माने सा ही

तेरे दिल से भी इक दिन उतर जाऊँगा



तेरी आदत ने मुझ को बिगाड़ा है पर

एक दिन देखना मैं सुधर जाऊँगा


फिर तिरे पास से देखना कैसे मैं

तुझ को देखे बिना ही गुज़र जाऊँगा


आज बातों में हूँ तेरी नज़रों में हूँ

जल्द दिल में तिरे हो अमर जाऊँगा


तेरी नज़र-ए-करम की ही बस देर है

ये जो बिगड़ा हुआ हूँ सँवर जाऊँगा


उस की यादें रहेंगी मिरे साथ साथ

शहर ये छोड़ कर अब अगर जाऊँगा


एक दिन छोड़ ये ग़म-ज़दों का जहाँ

बन मैं गुज़री पुरानी ख़बर जाऊँगा


बन के बादल हवाओं के संग उड़ के मैं

ढूँडने तुझ को हर इक नगर जाऊँगा


क्या कहा तुझ को मुझ पर भरोसा नहीं

तुझ को लगता है कि मैं मुकर जाउँगा


हूँ मोहब्बत मोहब्बत मोहब्बत हूँ मैं

तेरा दिल तो नहीं हूँ जो भर जाऊँगा


आज ख़ुशबू मिरी होगी कल छाँव भी

फूल हूँ आज कल बन शजर जाऊँगा

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